टोक्यो ओलंपिक में जारी हॉकी मुक़ाबलों में जब भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने रविवार को ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई तो पूरे भारत में ख़ुशी की लहर दौड़ गई.
लेकिन इस ख़ुशी को सोमवार को भारतीय महिला हॉकी टीम ने तब दोगुना कर दिया जब उन्होंने भी क्वॉर्टर फ़ाइनल में ख़िताब की दावेदार मानी जा रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को 1-0 से हरा दिया. भारतीय टीम ने सेमीफ़ाइनल में पहुँचकर धमाका कर दिया है.
भारत के लिए खेल का एकमात्र गोल गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर किया.
ऐसा लगता है कि शायद शॉर्ड मॉरिन की कोचिंग से भारतीय महिला हॉकी टीम में एक नई धार आ गई है.
यह वही कोच हैं जिन्होंने ग्रुप मैच में नीदरलैंड्स के हाथों 1-5 से हार के बाद पूरी भारतीय टीम को जमकर लताड़ा था.
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारतीय महिला हॉकी टीम कभी भी दबाव में नहीं दिखी. उसका डिफ़ेंस बेहद मज़बूत था जिसे सात पेनल्टी कॉर्नर मिलने के बाद भी ऑस्ट्रेलियाई टीम तोड़ नहीं पाई.
इससे पहले भारतीय पुरूष टीम 1972 के मैक्सिको ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में पहुँची थी और 1980 के मॉस्को ओलंपिक में उसने स्वर्ण पदक जीता था.
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