आज महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। वे हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बावजूद इसके महिलाओं का उत्पीड़न और लिंगभेद जैसी कुरीतियां आज भी समाज का हिस्सा हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान तो महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़ गए थे। हालांकि, संविधान ने महिलाओं को कई अधिकार दिए हैं, जिसकी मदद से वे अपने हक की लड़ाई लड़ सकती हैं।
समान वेतन संविधान में महिला और पुरुष को बराबर माना गया है। इसमें साफ कहा गया है कि लिंग के आधार पर किसी को कम वेतन नहीं दिया जा सकता है। अगर महिलाओं को लगता है कि सिर्फ महिला होने के नाते उनका वेतन कम है, तो वे कानून का सहारा ले सकती हैं।
घरेलू हिंसा से सुरक्षा हमारे देश में पत्नी के साथ मारपीट के मामले काफी ज्यादा आते हैं। सरकार ने महिलाओं के खिलाफ होने वाली घरेलू हिंसा को रोकने के लिए भी कानून बनाया है। अगर किसी महिला के साथ घरेलू हिंसा हो रही है तो वो खुद या उसकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।
मातृत्व संबंधी लाभ मातृत्व अवकाश कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत मातृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते तक कर दिया गया है। इस दौरान उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी और वे फिर से काम शुरू कर सकती है।
संपत्ति पर अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है। वह अपने पिता की संपत्ति पर हक जता सकती हैं।
रात में गिरफ्तार नहीं किसी भी महिला को अंधेरा होने के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। अगर कोई गंभीर मामला है, तो उसके लिए अदालत से विशेष आदेश लेना पड़ता है।
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